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Class 9 Hindi – B Kichad ka Kavya Important Questions

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CBSE Class 9 Hindi Ch – 4

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Latest Exam Questions for Class 9 Hindi – B

Ch-4 कीचड़ का काव्य


  1. सूख जाने पर कीचड़ किस तरह का दिखाई पड़ता है? कीचड़ का काव्य पाठ के आधार पर बताइए।

  2. कीचड़ का काव्य में उगी सुबह की क्या विशेषता थी?

  3. कवि कीचड़ के विरोध में क्या तर्क देते हैं?

  4. पंक और पंकज शब्द में कीचड़ का काव्य पाठ के आधार में क्या अंतर है?

  5. लेखक ने कवियों की किस वृत्ति पर व्यंग्य किया है? कीचड़ का काव्य पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

  6. कीचड़ का काव्य पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

  7. कीचड़ के प्रति कवियों की धारणा से आप कहाँ तक सहमत हैं?

  8. सूखे हुए कीचड़ का सौन्दर्य किन स्थानों पर और किस प्रकार दिखाई देता है?

Ch-4 कीचड़ का काव्य


Answer

  1. अधिक गरमी से कीचड़ जब सूख जाता है तो उसमें दरारें पड़ जाती हैं। इससे वह टुकड़ों में बँट जाता है। टेढ़ी-मेढ़ी इन दरारों के कारण सूखे कीचड़ का आकार भी टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है। उनका यह रूप सुखाए खोपरे जैसा लगता है।
  2. कीचड़ का काव्य में उगी सुबह बुझी-बुझी थी। पूर्व दिशा में सूर्योदय की लाली नहीं थी। उत्तर दिशा में थोड़ी बहुत लाली अवश्य थी, किंतु वह भी स्थायी न रह सकी। थोड़ी देर में वहाँ भी धुनी हुई कपास जैसे बादल छा गए।
  3. कवि कमल की प्रशंसा और मल की निंदा करने के पीछे तर्क देते हैं- हम वासुदेव कृष्ण की पूजा करते हैं किंतु उनके पिता वसुदेव की पूजा नहीं करते।
  4. ‘पंक’ का अर्थ कीचड़ (मलिनता का प्रतीक) तथा ‘पंकज’ का अर्थ कमल (सौंदर्य का प्रतीक) है। ‘पंक’ शब्द मन में जहाँ घृणा भाव जगाता है, वहीं पंकज आह्लाद का भाव जगाता है।
  5. लेखक ने कवियों की उस युक्तिशून्य वृत्ति पर व्यंग्य किया है जिसके कारण वे ‘पंक’ शब्द से घृणा करते हैं, परंतु उसी पंक में उगने वाले ‘पंकज’ शब्द का प्रयोग कवि अपने काव्य में करते हैं और आह्लादित होते हैं।
  6. ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ का उद्देश्य यह है कि मनुष्य कीचड़ को हेय समझकर उसका तिरस्कार न करे। वह इस बात को हमेशा ध्यान में रखे उसे पोषण देने वाला अन्न कीचड़ में ही पैदा होता है। कीचड़ घृणा की वस्तु नहीं हो सकती है। अतः कीचड़ को हेय न मानकर श्रद्धेय मानना चाहिए।
  7. कवियों ने हमेशा पंकज को महत्त्व दिया और ‘पंक’ शब्द को घृणा की दृष्टि से देखा है। ‘मल’ शब्द को मलिन माना परन्तु कमल शब्द पर कितने ही काव्य रच डाले। कवियों के अनुसार हम कोयले को इतना मूल्य नहीं देते जितना कि हीरे को। मोती को कंठ में बाँधकर घूमते हैं परन्तु जहाँ से यह उत्पन्न हुआ है उसे तो गले से नहीं बाँधते। लोग मूल से नफ़रत करते हैं और उससे उत्पन्न वस्तु से प्यार करते हैं। कीचड़ के प्रति भी उनका यही रवैया है। जो अन्न कीचड़ में पैदा होता है उस अन्न की तो कद्र करते हैं पर कीचड़ का तिरस्कार करते हैं जो कि गलत है।
  8. सूखे हुए कीचड़ का सौन्दर्य नदी के किनारे पर दिखाई देता है। कीचड़ का पृष्ठ भाग सूखने पर उस पर बगुले और अन्य छोटे-बड़े पक्षी विहार करने लगते हैं। उनका यह विहार बहुत सुन्दर प्रतीत होता है। कुछ अधिक सूखने पर उस पर गायें, बैल, भैंसें, पड्डे, भेड़े, बकरियाँ भी चहलकदमी करने लगती हैं। भैसों के पाड़े तो सींग-से-सींग भिड़ाकर भयंकर युद्ध करते हैं। तब कीचड़ जगह-जगह से उखड़ जाती है। इस समय का सौन्दर्य देखते ही बनता है।
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